कोरोना काल में नर्सों की ड्यूटी सबसे ज्यादा कठिन हो गई है। उन्हें सुबह की पाली में दस घंटे तो रात की पाली में 14 घंटे तक की ड्यूटी करनी पड़ रही है। इस कठिन ड्यूटी पर मौसम
की भी मार पड़ रही है।लगभग 40-42 डिग्री के तापमान में उन्हें दिन भर पीपीई किट्स पहनकर कोरोना मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है। केंद्र के निर्देश पर अस्पतालों में सेंट्रलाइज्ड एसी का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है।
इस अवस्था में सबसे ज्यादा परेशानी उन महिला नर्सों को उठानी पड़ रही है, जो गर्भवती हैं और इसके बाद भी उन्हें कोरोना मरीजों की देखभाल में लगाया गया है। नर्सेज फेडरेशन की मांग है कि इन नर्सेज को दूसरी जगहों पर ड्यूटी में लगाया जाए।
ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन की अध्यक्ष अनिता पवार ने बताया कि मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी नर्सों को नजरअंदाज किया जाता है। कई जगहों पर अभी भी उन्हें कोरोना वाहक कहकर परेशान किया जाता है।
यूनाइटेड नर्सेंज एसोसिएशन के पदाधिकारी जूना विल्सन का आरोप है कि सरिता विहार और सरोजिनी नगर में कुछ नर्सों को किराना की दुकानों पर सामान देने से भी इंकार कर दिया गया क्योंकि वे नर्सों के रुप में कई अस्पतालों में काम करती हैं। यह स्थिति नर्सों के लिए काफी पीड़ादायक है।

नर्सों की परेशानी देखकर नर्सेज फेडरेशन ने पांच विशेष कैटेगरी की नर्सों को कोविड ड्यूटी से हटाकर दूसरी जगहों पर लगाने की मांग है जिससे वे अपनी सुरक्षा के साथ-साथ अपनी ड्यूटी भी कर सकें।
इनमें गर्भवती नर्सें, बच्चों को दूध पिला रही नर्सें, माता-पिता दोनों के नर्स होने या दोनों में से एक पुलिस की ड्यूटी में काम कर रही नर्सों के लिए अलग सुविधा की मांग की है। इसके लिए केंद्रीय और प्रदेश स्तर के मंत्रियों और सचिव स्तर के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।

नर्सों को एक जनवरी के 30 जून के बीच 15 विशेष छुट्टी अर्जित अवकाश (Earned Leave) दी जाती हैं। इस दौरान इन छुट्टियों को न लेने पर वे रद्द् हो जाती हैं। कोरोना काल में सभी स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
ऐसे में नर्सें इन छुट्टियों का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। नर्सों की मांग है कि इन छुट्टियों को आगे के लिए बढ़ा दिया जाए जिससे कोरोना काल के पश्चात वे अपनी इस सुविधा का लाभ ले सकें
एक अनुमान के मुताबिक इस समय दिल्ली में हजारों नर्सें दिन-रात लोगों की सेवा में जुटी हुई हैं। इसमें दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 10 हजार, एम्स में पांच हजार, अन्य केंद्रीय अस्पतालों में लगभग 6 हजार, तीनों नगर निगम के अस्पतालों में 3000, ईएसआईसी अस्पतालों में 800 और सुरक्षा बलों के विशेष अस्पतालों में हजारों नर्सें काम करती हैं।