काशीपुर: काशपुर कोतवाली में एक ऐसी एफआईआर लिखी जा रही है, जिसे लिखते हुए चार दिन हो गए हैं। बावजूद अब तक एफआईआर पूरी नहीं हो सकी है। बताया जा रहा है कि इसे लिखने में अभी दो से तीन दिन और लग सकते हैं। इतना ही नहीं। इसे इतिहास की अब तक की सबसे लंबी एफआईआर भी माना जा रहा है। आपको बतातें हैं कि इसमें क्या खास है और किसी केस में इतनी लंबी और बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है।
उत्तराखंड की काशीपुर कोतवाली के इतिहास में पहली बार सबसे बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है। रिपोर्ट लिखते-लिखते चार दिन गुजर चुके हैं। इसे पूरा लिखने में दो से तीन दिन का समय और लग सकता है। इसकी एक और खास बात ये है कि ये अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में लिखी जा रही है, जिससे एफआईआर लिखने वाले पुलिसकर्मियों के भी पसीने छूट रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत रामनगर रोड स्थित एमपी अस्पताल और तहसील रोड स्थित देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में दोनों अस्पतालों के संचालकों की ओर से नियम विरुद्ध रोगियों के फर्जी उपचार बिलों का क्लेम वसूलने का मामला पकड़ में आया था। एमपी अस्पताल में रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीज कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाए गए। आईसीयू में भी क्षमता से अधिक रोगियों का उपचार दर्शाया गया। डायलिसिस केस एमबीबीएस डॉक्टर की ओर से किया जाना बताया गया और वो भी अस्पताल की क्षमता से कई गुना।
एफआईआर दर्ज करने में एक नहीं कई दिक्कतें हैं। एबसे बड़ी सस्या ये है कि जिस साफ्टवेयर में एफआईआर दर्ज की जाती है। उसकी क्षमता दस हजार शब्दों से अधिक नहीं है। मामले की एक तहरीर 64 पृष्ठ की हैं, तो दूसरी तहरीर करीब 24 पेजों की है। तहरीरों में अधिक विवरण होने के कारण इन अस्पताल संचालकों के खिलाफ ऑनलाइन एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती। धोखाधड़ी के मामले में दो अस्पताल संचालकों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर की विवेचना करने वाले अधिकारी को पापड़ बेलने पड़ेंगे। मुकदमा दर्ज होने पर इनकी विवेचना को लेकर भी पुलिस पशोपेश की स्थिति में है