रिपोर्ट : पंकज तलवार
8 जून अमर उजाला लिख रहा है की कोटद्वार की नदियों से मिलेंगे 17 करोड रुपए
हाईकोर्ट ने 15 जून के बाद नदियों में मशीन उतारने के लिए मना कर दिया है उधर सरकार ने 8 तारीख को ही मशीने न चलने के आदेश जारी कर दिए हैं
सड़क के टूट रही है ओवरलोड डंपर मौत की तरह सड़कों पर दौड़ रहे हैं लोग डरे हुए और सहमे हुए हैं हम जनता की आवाज सरकार तक पहुंचा रहे हैं लेकिन चंद पत्रकारों की वजह से पत्रकार समाज शर्मसार है क्योंकि वह खनन माफियाओं की तारीफ कर रहे हैं और उनको ना ही टूटी हुई सड़कें दिख रही है और ना ही ओवरलोड डंपर ना ही नदी में सैकड़ों की तादाद में चलती हुई पोकलैंड मशीन ना ही उन्हें नदियों में गड्ढे दिख रहे हैं नाही लोगों के दर्द और चीख-पुकार जबकि इन्हीं ओवरलोड डंपर की चपेट में आकर कोटद्वार की एक महिला पुलिसकर्मी के पति को दुर्घटना में अपनी एक टांग गवानी पड़ी लेकिन कुछ पत्रकारों को उस पुलिसकर्मी के दर्द की आवाज नहीं आई
आपको बता दें कि कोटद्वार खो नदी सुखरो नदी पर कई सारे पट्टे आवंटित हुए हैं जिसका राजस्व सरकार को जरूर मिलेगा वैसे तो सारा राजस्व सरकार ने पहले ही जमा करवा लिया है लेकिन सवाल यह भी खड़ा होता है कि ना तो नदियों में धर्मकांटा लगे हैं और न ही कैमरे जिससे कि गाड़ियों का वजन तोला जा सके और ओवरलोड डंपर पर कोई रोक लग सके ऐसे में 17 करोड़ में गई नदी से कहीं खनन माफिया 34 करोड़ का माल लेकर ना उड़ जाएं 34 करोड़ का माल खनन माफिया लेकर जरूर उड़ेंगे और सरकार को 17 करोड़ की चपत लगेगी, हो सकता है कि राजस्व की हानि उत्तराखंड सरकार को इससे कई गुना कई गुना अधिक हो लेकिन अमरउजाला के प्रभारी को यह राजस्व हानि दिख नहीं रही है यूं कहें कि खनन माफियाओं और अमरउजाला कोटद्वार के प्रभारी का गठजोड़ बहुत मजबूत है जो कि सरकार के राजस्व की बात कर रहा है अमरउजाला प्रभारी यह नहीं जानते कि ओवरलोड डंपर से होने वाला नुकसान ,उत्तराखंड राज्य के राजस्व का कई गुना करोड़ों में होगा जोकि 30 40 50 करोड़ तक हो सकता है रोज हजारों डंपर ओवरलोड होकर दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं ऐसे में राजस्व की हानि होना तो लाजमी है
15 जून से मानसून आने वाला है हर साल बरसात में बाढ़ से तबाही होती है लेकिन नदियों में अवैध खनन से और भी तबाही हो सकती है यहां तक कि सुखरौं की अगर बात करें तो वहां पर बीएल रोड पर एक पुल है जहां पर इतनी खुदाई हो चुकी है कि अगर बरसात में पानी भरा तो वहां झील बन जाएगी और पुल भी बह सकता है लेकिन अमरउजाला प्रभारी को यह दिखाई नहीं देता और वह खनन माफियाओं की तारीफ कर रहे हैं चैनेलाइजेशन का काम जरूरी है और नदियों में चुगान भी जरूरी है लेकिन इतना चुगान ना हो कि वह है नदियां इतनी गहरी हो जाए कि उनको संभालना मुश्किल हो जाए सरकार को जरूर 17 करोड़ का राजस्व मिलेगा और मिलना भी चाहिए और जो कि अभी तक जमा भी हो चुका है लेकिन अगर ओवर लोड डंपरों को नहीं रोका गया तो यह राजस्व इतना ही रहेगा और अगर ओवरलोड पर रोक लगी तो यह राजस्व कहीं 30 40 50 करोड़ तक हो सकता है सुखरौं, मालन और खोह नदी सिगड़ी स्रोत सब जगह पट्टे आवंटित है लेकिन मानकों के खिलाफ खनन होना सरकार की नाक में दम करना खनन माफियाओं ने एक मकसद बना दिया है पत्रकारों और खनन माफियाओं का यह गठजोड़ सबके सामने है चेंलाइजेशन के नाम पर हो रहे अवैध खनन पर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है एक पोकलैंड मशीन की परमिशन सरकार ने दी थी लेकिन उसके बावजूद 44 पोकलैंड मशीन नदियों में उतरी हुई हैं और खनन जोर-शोर से हो रहा है जो अमरउजाला प्रभारी को नहीं दिखाई दे रहा उनकी आंखों पर खनन माफियाओं ने पट्टी बांध दी है यह एक आश्चर्यजनक बात है उनको पत्रकार तो तथाकथित दिखते हैं लेकिन खनन माफिया एक भगवान के रूप में दिख रहे हैं अमरउजाला कोटद्वार के प्रभारी शुक्ला जी इस बात का ध्यान दें कि ओवरलोड डंपर से सरकार को करोड़ों का राजस्व का नुकसान हो रहा है जो तारीफ वह खनन माफियाओं की कर रहे हैं उनको यह भी देखना चाहिए कि खनन माफिया नदियों का सीना चीर कर अवैध रूप से खनन कर ओवरलोड डंपर इधर उधर जा रहे हैं जो मौत की तरह दौड़ रहे हैं कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है इसका को ध्यान रखें कहीं पत्रकार और खनन माफियाओं का गठजोड़ उत्तराखंड को ले डूबे यह बड़ा सवाल है



