Sunday, April 2, 2023
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बुद्ध पूर्णिमा, जानिए भगवान बुद्ध के कुछ अनमोल वचन

बुद्ध पूर्णिमा (वेसक या हनमतसूरी) बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था।

५६३ ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही ४८३ ई. पू. में ८० वर्ष की आयु में, कुशीनगर में उन्होने निर्वाण प्राप्त किया था। वर्तमान समय में कुशीनगर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद का एक कस्बा है। कुशीनगर का इतिहास में कुुशनारा नाम से उल्लेेख मिलता है।

शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है। शक लोगों को अलग करता है। यह एक ऐसा जहर है जो मित्रता खत्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है।
तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं सूर्य, चंद्रमा और सत्य।
एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते हैं, फिर भी उस दीपक की रोशनी कम नहीं होती है। उसी तरह खुशियां बांटने से बढ़ती हैं, कम नहीं होती हैं।

बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके।

स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा संबंध है।

जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।

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