सरकार द्वारा मदद की लिए घोषित प्रमुख बातें :
- एमएसएमई, कुटीर व गृह उद्योग के लिए 3 लाख करोड़ रुपए का कोलैटरल मुक्त ऑटोमैटिक लोन की सुविधा। 45 लाख छोटी कारोबारी गतिविधियों को इसका लाभ मिलेगा और इससे कर्मचारियों को रोजगार की सुरक्षा मिलेगी। 25 करोड़ रुपए तक बकाए और 100 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाली इकाइयों को ये लोन मिलेंगे। कारोबारी इकाई पर 29 फरवरी 2020 तक जितना बकाया था, उसका अधिकतम 20 फीसदी सरल लोन के रूप में इन इकाइयों को बैंक और एनबीएफसी से मिलेगा। लोन का भुगतान 4 साल में करना होगा और मूल धन के भुगतान पर एक साल का मोरेटोरियम होगाा। योजना का फायदा कारोबारी इकाइयां 31 अक्टूबर 2020 तक ले सकेंगी।
- 20 हजार करोड़ रुपए की सबोर्डेनेट डेट (अधिनस्थ ऋण) स्कीम। ये संकटग्रस्त एमएसएमई के लिए हैं। 2 लाख एमएसएमई को मिल सकता है लाभ। एनपीए और संकटग्रस्त एमएसएमई सभी को मिलेगा लाभ।
- बेहतर काम कर रहे एमएसएमई में निवेश के लिए फंड ऑफ फंड बनेगा। एमएमसएमई में 50 हजार करोड़ रुपए की इक्विटी का होगा निवेश। 10 हजार करोड़ रुपए के साथ बनेगा कोष।
- एमएसएमई की परिभाषा एममएसएमई के हित में बदली। ताकि आकार बढ़ने के बाद भी एमएसएमई को लाभ मिलता रहे। इसलिए एमएसएमई में निवेश सीमा बढ़ी। यानी ज्यादा निवेश होने पर भी यूनिट एमएसएमई के दायरे में रहेंगी। अब इसमें टर्न ओवर के आकार को भी जोड़ा गया। मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के एमएसएमई में अंतर को समाप्त कर दिया गया। पहले 25 लाख के निवेश को माइक्रो यूनिट कहा जाता था। अब 1 करोड़ तक के निवेश के बाद भी माइक्रो यूनिट बने रहेंगे। सेवा में भी माइक्रो यूनिट के लिए निवेश सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया। अब 5 करोड़ रुपए के टर्नओवर के बाद भी माइक्रो यूनिट बने रहेंगे। स्मॉल के लिए निवेश की सीमा 10 करोड़ रुपए और टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए कर दी गई। मीडियम एंटरप्राइज के लिए निवेश की समी बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए और टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दी गई।
- सरकारी खरीद में 200 करोड़ रुपए तक के टेंडर के लिए ग्लोबल टेंडर की बाध्यता को समाप्त कर दी गई। इससे एमएसएमई भरोसे के साथ कारोबार कर पाएंगे।
- सभी एमएसएमई के लिए ई-मार्केट लिंकेज। केंद्र सरकार और सीपीएसई अगले 45 दिनों में एमएसएमई के सभी बकाए का भुगतान कर देंगी।