।। पीयूष-प्रबोधन ।।०१।।
अम्बर बरसे धरती भीजे यह जाने सब कोई ।
पर धरती बरसे अम्बर भीजे जाने विरला कोई ।।
प्रतिकूलताओं से बच कर भाग जाने से हम कभी भी सुखी नहीं रह सकते। इनका सामना करके ही जीवन उच्चता को प्राप्त होता है। मानव से महामानव और नर से नारायण कैसे बना जाता है इसके लिए राम और कृष्ण के जीवन को समझना होगा।
दोनों के जीवन में भी बड़ी विषमताएं, प्रतिकूल स्थितियाँ आईं पर वो हताश नहीं हुए, उन्होंने दृढ़ता से उनका सामना कर विजय प्राप्त की। उनकी इसी अद्भुत सामर्थ्य ने एक दिन उन्हें परम वन्दनीय बना दिया।
आज हम विषमता रुपी विष से बचने का प्रयास करते हैं। यही नाहक प्रयास हमारे चेहरे की उदासी का कारण बन जाते हैं । यदि हम डटें रहे…विषम परिस्थितियों का सामना करें अर्थात् प्रतिकूल को अनुकूल बनाने का प्रयास करें तो हमारा जीवन राम-कृष्ण जैसा ना सही उनका भक्त कहलाने के लायक तो बन सकता है परन्तु ये तभी सम्भव है जब सद्गुरु की शरणागति हो…!!
।। गुरु शरणम् ।।
सौजन्य से :- गुरु भ्रातृ मण्डल (कोटद्वार)