।। पीयूष-प्रबोधन ।।०३।।
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आये फल होय ।।
जीवन मे धैर्य रखना बहुत महत्वपूर्ण है, जरूरी नहीं सभी को सफलता मिलने की उम्र एक हो, अपनी बारी का इंतजार कीजिए... *आने वाला कल निश्चित ही अच्छा होगा ।*
लेखक-प0 भास्कर बहुगुणा
“इच्छायें पूरी नहीं होती है, तो अनायास ही क्रोध बढ़ता है और इच्छाओं की पूर्ति पर लोभ”
इसलिए जीवन में हर तरह की परिस्थिति में धीरज बनाये रखना ही श्रेष्ठता है। सकारात्मक कर्तव्यबोध ही एक ऐसा आदर्श है, जो कभी धोखा नहीं दे सकता और धैर्य ही एक ऐसा कड़वा पौधा है, जिस पर फल हमेशा मीठे आते हैं । नकारात्मक सोच और उतावलापन उम्मीद एवम् आकांक्षाओं का दमन करता है। लेकिन धीरज का यह अर्थ कतई नहीं कि आप निरंकुश और प्रमादी हो जायें बल्कि अपने लक्ष्य के लिए सजग रहकर उचित अवसर की प्रतीक्षा करें । ऐसा न हो कि—
म्यार तिमल आते ग्येन ।
जो इन्सान धीरज रख सकता है..वह अपनी इच्छानुसार सब कुछ पा सकता है..!
पहला पथ है उनका, जिनका धीरज न छूटता है, प्रियतम ! जहाँ प्रयत्नों की ऊँचाई अधिक होती है, वहाँ भाग्यरेखा को भी झुकना पड़ता है, मुड़ना पड़ता है।
।। गुरु शरणम् ।।
सौजन्य से :- गुरु भ्रातृ मण्डल (कोटद्वार)