हैरानी की बात तो यह रही कि थाने में भी खनन माफिया की गुंडागर्दी जारी रही और पुलिस मूकदर्शक बनकर उल्टा राजीव गौर से मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर की मांग करने लगी अहम सवाल यह था कि क्या जब तहरीर मिलेगी तभी मुकदमा दर्ज होगा !
क्या अवैध खनन को रोकना पुलिस प्रशासन का काम नहीं !
जो काम पुलिस प्रशासन ने नहीं किए वह एक पत्रकार जब सार्वजनिक करने लगा तो मूकदर्शक बनी रही पुलिस उल्टा पत्रकार से ही अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए तहरीर मांगने लगी !
बरहाल काफी हंगामे के बाद पुलिस ने राजीव गौड़ का मेडिकल कराया और उनके साथ दो पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए घर पर तैनात कर दिए।
राजीव गौड़ आज कर्मभूमि टीवी और फेसबुक लाइव के माध्यम से नदियों के अवैध खनन को दिखा रहे थे। जिसमें उन्होंने प्रमुखता से यह बताया था कि किस तरह से सरकार ने पहले नदियों में चुगान की परमिशन को डेढ़ मीटर से 3 मीटर किया और खनन माफिया किस तरीके से 3 मीटर के बजाय 20 मीटर गहरे में जेसीबी से खनन कर रहा है।
गौरतलब है कि फेसबुक लाइक के चलते प्रशासन और पुलिस ने हरकत में आकर 27 मई को आठ खनन के डंपर भी चीज किए थे।
इससे खनन माफिया काफी बौखलाया हुआ था। आज तो खनन माफिया ने राजीव गौड़ पर हमला ही कर दिया उनके साथ ही उत्तराखंड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी पर भी फायर किया। हमला करने वालों में महेंद्र बिष्ट, शैलेंद्र बिष्ट गढ़वाली आदि का नाम लिया जा रहा है।
राजीव गौड़ ने फेसबुक लाइव के ही माध्यम से पिछले दिनों अवैध खनन का यह पूरा मामला पुलिस महानिदेशक की भी जानकारी मे लाया था।
राजीव गौड़ उत्तराखंड आंदोलनकारी रहे हैं और आंदोलन के दौरान वह ढाई महीने सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में भी सजा काट चुके हैं। राजीव गौड़ ने ना तो आंदोलनकारी की पेंशन ही स्वीकार की और ना ही नौकरी। कर्मभूमि टीवी के माध्यम से वह लगातार अवैध खनन और अन्य ज्वलंत मुद्दों को उठाते रहे हैं।