जो गरीब दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में परदेस गया था..अब सड़कों पर मारा-मारा फिर रहा है….कोरोना से ज्यादा भूख से मरने का डर…. आंखों में सिर्फ आंसू…. गरीब मजदूरों को इस बीमारी ने कुछ तरह से अपनी चपेट में ले लिया है कि शायद लाचारी भी लाचार महसूस करने लगी है…. अब इसने पांव में छालों, पैर से बहते खून, सड़क पर बिखरी रोटियों और बच्चों की रोने की आवाज का रूप धारण कर लिया है…. कुछ अभागे तो ऐसे कि बीच सफर में ही दम तोड़ दिया… वायरस ने तो नहीं मारा, भूख और प्यास ने मार दिया..और किसी की सड़क हादसे में जान चली गयी…ऐसा ही एक मामला..मध्यप्रदेश के सागर से सामने आया… जहां मजदूरों को ले जा रहा ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया…ओर हादसे में 5 लोगों की मौत हो गयी… ओर 15 से अधिक मजदूर घायल हो गए.. ये वे लोग हैं जो अपने गांवों से आंखों में कुछ सुनहरे सपने लेकर शहरों में आए थे…. मेहनत मजदूरी कर किसी तरह गुजर बसर कर रहे थे… लेकिन लॉकडाउन ने इन्हें मौत की दहलीज़ पर ला खड़ा के दिया .सरकार तो लाख दावे करती है… लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और बयां कर रही है …
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