ऋषिकेश-देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर की जबरदस्त चपेट में है और संक्रमण के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही शहरों में मौतों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। इस मामले में उत्तराखंड की तीर्थ नगरी ऋषिकेश भी अछूती नही रही है।हांलाकि निगम एवं स्थानीय प्रशासन तमाम जद्दोजहद में जुटा हुआ है।इन सबके बीच कोरोना से अकाल मोत का ग्रास बने मृतकों के परिवारों द्वारा ऋषिकेश देहरादून मार्ग स्थित साथ मोड़ के समीप जंगल किनारे फेंके जा रहे मृतकों के शवों के सामान एवं मुक्तिधाम में लकड़ियों की आ रही किल्लत की समस्या का संज्ञान लेते हुए महापौर ने आज दोपहर वन विभाग रेंजर महेंद्र सिंह रावत से अपने कार्यालय में बैठक कर उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए।उन्होंने वन विभाग द्वारा जंगलों में गस्त तेज करने का सुझाव देते हुए कहा कि जंगलों में कोरोना संक्रमित मृतकों के सामान फेंके जाने से संक्रमण का खतरा और बड़ सकता है।जिसे रोके जाने के लिए गस्त का बड़ाया जाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने जंगल में निरीक्षण के उपरांत खींची गई तस्वीरे दिखाते हुए उन्हें बताया कि इन्हें गहरे गड्ढे में डिस्पोज कराया जाना आवश्यक है तभी संक्रमण का खतरा टल सकेगा।
मेयर ने वन विभाग के रेंजर को अवगत कराया कि नगर क्षेत्र में अनेकों लोगों की कोरोनावायरस से हो रही मौतों के चलते मृतकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।साथ ही इसकी वजह से लकड़ियों की किल्लत महसूस की जा रही है। मुक्तिधाम से मिली जानकारी के अनुसार जो एक ट्रक लकड़ी प्रति माह शवों के दाह संस्कार में लगती थी अब वह रोजाना लग रही है जिसकी वजह से लकड़ियों की भारी दिक्कत महसूस हो रही है।
जिसके लिए वन निगम की ओर से लकड़ियों का प्रबंध कराया जाना बेहद आवश्यक है।महापौर ने बताया कि उनके सुझाव पर रेंजर द्वारा तत्काल आवश्यक कारवाई के जरिए समस्या के निस्तारण के आदेश दे दिए गये हैं।
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