रिपोर्ट : आशीष धीमान
हाई कोर्ट उत्तराखंड का आदेश क्या आया की ओवरलोड डंपर ने 100 मीटर की रेस ही लगा दी ओवरलोड डंपर ना ही पुलिस को दिख रहे हैं ना प्रशासन को ना ही उन चाटुकार पत्रकारों को जो कर्मभूमि टीवी के संपादक जिन पर खनन माफियाओं ने जानलेवा हमला किया उस पत्रकार को तथाकथित लिख रहे थे चाहे वह अमरउजाला के प्रभारी शुक्ला हों या फिर नेट नेटवर्क 18 चैनल का पत्रकार अनुपम उनमें से किसी को भी ओवरलोड डंपर नहीं दिखाई दे रहे हैं ना ही उनको नदियों की गहराइयां दिखाई दे रही हैं नाही उनको शहर की टूटी हुई सड़क दिखाई दे रही है ऐसा क्यों है कि उनको ना ही खनन माफियाओं की गलती नजर आती हैं और ना ही ओवरलोड डंपर दिखते हैं और ना ही टूटी सड़कें सवाल यह भी खड़ा होता है कि पत्रकारिता इतनी गिर गई है कि वह चंद लोगों के हाथ में कठपुतली बन गई या फिर पत्रकारों को अपने घरेलू खर्चे की वजह से या फिर किसी और वजह से उनको इस तरह का घिनौना कृत्य करने के लिए मजबूर कर दिया है सवाल यह भी खड़ा होता है कि इतने बड़े ब्रांड के अखबार और चैनल के मालिक भी इन घटनाओं में शामिल हैं या फिर उनके पत्रकार ही कुछ गड़बड़ झाला कर रहे हैं